जीएम सरसों में
1. Streptomyces hygroscopicus,
और
2. Bacillus amyloliquifacians
नामक बैक्टीरिया मिलाया गया है।
इन दोनों के बारे में आप गूगल पर और रिसर्च कर सकते हैं।
पहले चक्र में यह मधुमक्खियों की प्रजाति को नष्ट करना आरम्भ कर देगा।
मधुमक्खियों की प्रजनन शक्ति नष्ट हो जाएगी जिससे मधुमक्खियों की परागण पद्धति की समाप्ति होगी और फल तथा फूलों का निर्माण अगले 40-50वर्ष में समाप्त हो जाएगा।
यह सृष्टि चक्र का नियम है कि यदि मधुमक्खी समाप्त होगी तो इंसान 15 वर्ष में ही मृत्यु के कगार पर होगा।
उसके उपरांत आपको पूर्ण रूपेण जीएम फलों पर निर्भर होना पड़ेगा।
दूसरे चक्र में यह मूल रूप से मनुष्यों की प्रजनन शक्ति को क्षीण करेगा। नपुंसकता के लक्षण बढ़ेंगे अप्रत्याशित दृष्टि से।
(फिर डॉक्टरों से दवाई ली जाएगी नपुंसकता निवारण की।
अब जो भक्त और अंधभक्त मुंह में कुछ न कुछ जमाये बैठे हैं... वह इस सड़कार का नही अपितु अपने परिवार का, अपनी आने वाली पीढ़ियों के बारे में विचार करें।
भाई मधुमक्खियों की वजह से pollination ( संभोग जैसा) होता है.. जिससे फल लगेंगे..
ये पौधों की life cycle है, ये खत्म तो सब कुछ खत्म।
इसे परागण क्रिया कहते हैं।
शरीर का immunity system powerful करने हेतु भी, पराग पोलीसेकेराइड रोग से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में सुधार, Macro Phase की Phagocytic गतिविधि को सक्रिय कर सकते हैं।
प्रकृति में जितने भी फल, फूल और बाकी सिस्टम हैं वे सब इन्हीं की देन हैं। अगर पॉलीनेशन में पराग के कण एक पौधे से दूसरे पौधे तक न ले जाएं तो कुछ भी नहीं पनपने वाला।
इसी सड़कार ने पूर्व में बीटी-कॉटन के बीज को भारत में खेती हेतु पारित किया था ।
बीटी-कॉटन के वह बीज भी #Monsanto और #DuPont जैसी मनुष्य और प्रकृति विरोधी कम्पनियो द्वारा बनाये गए।
आज मधुमक्खियां बीटी-कॉटन के खेतों के पास भी नहीं फटक रहीं। और उनकी संख्या में भी भारी कमी पाई गई है।
वह दिन दूर नही जब प्राकृतिक फल केवल किताबों की बातें हो जाएंगी और दुनिया को #Monsanto #DU-Pont आदि मनुष्य और प्रकृति विरोधी कम्पनियो द्वारा उत्पन्न अप्राकॄतिक फल और सब्जियों पर निर्भर रहकर जीवन गुजारना पड़ेगा।
भेड़ कौन है और भेड़िया कौन है?
भेड़ की खाल में भेड़िया कौन है?
यह सब अनुमान लगाना आप सबका कार्य है।
आपको प्रकृति ने जो प्राकृतिक सरसों उपयोग हेतु दी है... वही आपके हेतु वरदान है।
कृपया #Monsanto की प्रयोगशालाओं में बने अप्राकॄतिक और बैक्टीरिया युक्त जीएम सरसों को भारत में आने से रोकिये।
न रोक पाये तो इतिहास साक्षी बनेगा कि धर्म की बकैती केने वाले ही अधर्म स्थापित करवा गए।
भावी पीढ़ियों के शत्रु आप स्वयं हैं... जब तक आप चुप हैं।
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