राजीव भाई की जन्म या पुण्यतिथि 30 नवंबर नही है!
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भारतीयता को पुनः स्थापित करने का लक्ष्य लिए राजीव भाई ने अपने प्राण दे दिए।
उन्ही राजीव भाई के 51वीं जन्मतिथि और सातवी पुण्यतिथि को विदेशी कैलेंडर के अनुसार मनाना सही नही है। अपना न सही कम से कम राजीव भाई को सही तिथि पर याद कर इतना सम्मान देना हमारा कर्तव्य है।
सभी की भावनाओ का सम्मान करते हुए मैं कुछ विशेष जानकारी दे रहा हूँ।
राजीव भाई की भारतीय पंचांग के अनुसार वास्तविक जन्मतिथि है
वर्ष: 2023 विक्रम सम्वत
पक्ष: कृष्ण पक्ष
माह: मार्गशीर्ष
दिवस: द्वितीया
और यह दिन विदेशी कैलेंडर के अनुसार
30 नवंबर 1966 है।
30 नवंबर 1967 नही जैसा कि सब जगह लिखा जा रहा है।
2017 में यह दिन 5 नवंबर को पड़ा जो कि निकल चुका है। उस दिन ईश्वर से राजीव भाई की आत्मा की शांति की प्रार्थना कर चुका हूँ।
और अब बात आई उनकी पुण्यतिथि की
यदि विश्लेषण किया जाए तो राजीव भाई का देहांत 29 नवंबर 2010 को हुआ था अर्थात
वर्ष : विक्रम संवत 2067
पक्ष: कृष्ण पक्ष
माह: मार्गशीर्ष
दिवस: अष्टमी
न कि प्रचलित दिनाँक 30 नवंबर 2010 के दिन।
2017 में यह दिन 11 नवंबर को आया था जिस दिन कुरुक्षेत्र में पञ्चगव्य चिकित्सा महासम्मेलन में राजीव भाई को श्रद्धांजलि दी गयी।
राजीव भाई का देहांत यदि उनके तथाकथित निकटतम कुछ लोगो की माने तो 29 नवंबर की रात के लगभग 12 बजे के आसपास हुआ जो पहले या बाद में दोनों हो सकता है। जिसका अर्थ है कि भारत मे रात के 12 बजे के बाद अगला दिन नही माना जाता। यहां ब्रह्ममुहूर्त जो कि प्रातः 4 बजे के आसपास का समय है उससे अगले दिन का प्रारंभ माना जाता है।
यूरोप में घड़ी लगभग 4 से 5 घंटे हमसे पीछे है। इसीलिए जब यहां सुबह के 4 बजते है तो वहाँ लगभग रात के 12 बजते है। इसीलिए वे लोग हमारे समय के अनुसार अपना अगला दिन रात के 12 बजे के बाद मानते है। लेकिन हम मूर्ख उनके द्वारा की गई हमारी नकल की भी नकल कर भारत मे भी अगला दिन 12 बजे के बाद मानने लगे।
इसके अनुसार अब यदि राजीव भाई का देहांत 29 नवंबर को रात 11 बजे या 1 बजे भी हुआ होगा तो भारतीय समय के अनुसार तो वह पिछला ही दिन था अर्थात काल भैरव अष्टमी का दिन।
राजीव भाई को इतना तो सम्मान दे कि भारतीयता के साथ उनके जीवन के महत्वपूर्ण दिनों को याद करें।
उनके निकट के लोगो ने अपनी सुलभता के लिए 30 नवंबर को दोनों काम निपटाने के चक्कर मे यह सब प्रचलित किया।
हम सभी यदि श्रीरामनवमी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, बुद्ध जयंती जैसे सब महत्वपूर्ण दिन यदि भारतीय पंचांग के अनुसार मनाते है तो राजीव भाई जैसे युगपुरुष को भी भारतीय होने कर कारण इतना सम्मान तो हम दे ही सकते है।
हम श्रीराम के जन्म के अनुसार अपने जन्मदिन या अन्य महत्वपूर्ण दिवस मनाये तो ही अच्छा न कि ईसामसीह के जन्म के अनुसार मनाकर परोक्ष रूप से ईसाइयत फैलाए।
क्योंकि आने वाली पीढ़ी का कोई भरोसा नही आज तो कई राजीव भाई के समर्थक जाने- अनजाने में मोमबत्ती के साथ उनकी फोटो को आपस मे प्रेषित रहे है।
आगे चलकर ऐसा न हो कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तरह राजीव भाई के लिए भी लोग केक काटने लगे।
यह बात में धर्मसापेक्ष होकर कह रहा हूँ। जिसको भी बुरा लगता हो तो लगे।
राजीव भाई को शत शत नमन
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विरेंद्र का विश्लेषण
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