भारतीय पारंपरिक चिकित्सा (आयुर्वेद) से कैंसर से बचाव व उपचार।
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डॉ ओट्टो वारबर्ग, कैंसर की खोज करने वाले वैज्ञानिक एवं उस खोज के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले ने माना था अगर हमारा शरीर छारीय (Alkaline environment) है तो कैंसर क्या कोई रोग नही हो सकता। यही बात आयुर्वेद के महान ग्रन्थ "अष्टांग ह्रदय" में भी कही गयी है।
मानव तन के छारीय से अम्लीय (Alkaline to acidic) होने का मुख्य कारण है प्राणवायु (oxygen) का शरीर में ठीक से न पहुंचना। इसलिए मनुष्य को व्यायाम करना चाहिए।
प्राणवायु के आभाव में कोशिकाएं (cell) (anaerobic हो जाती हैं) और कर्करोग कोशिकाओं में बदल जाती हैं।
हमारा खानपान भी शरीर के pH स्तर का संधारण करता है।
*भारतीय पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा से बचाव-
१) गौमूत्र (गौमाता के ग्यावन होने एक माह पूर्व और पश्चात् छोड़कर) और गौदुग्ध छारीय होता है। अतः नित्य सेवन करने से हर रोग से बचाव होता है।
२) सुबह खाली पेट पानी पीने से, भोजन के 1 घंटा पूर्व व पश्चात् पानी न पीने से pH ठीक रहता है। जिस कारण पेट में अम्लीय (acidic) वातावरण नही बनता।
३) नित्य प्राणायाम व योग करने से शरीर में प्राणवायु प्रबल होती है। oxygen से भरपूर तन रहता है, परिणाम स्वरूप तन छारीय रहता है, कोशिकाएं स्वस्थ रहती हैं व मस्तिष्क चित्त स्वस्थ रहता है।
इन तीन सरल साधारण उपायों से ९९% बिमारियों से बचा जा सकता है।
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doctor/http://yourhealthypage.org/2016/03/08/your-body-is-acidic-here-is-what-you-need-to-do-the-truth-behind-cancer-you-will-never-hear-from-your-doctor/
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