Monday, October 26, 2015

जौ(Barley)......

जौ(Barley)

प्राचीन काल से जौ का उपयोग होता चला आ रहा है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों का आहार मुख्यतः जौ थे। वेदों ने भी यज्ञ की आहुति के रूप में जौ को स्वीकार किया है। गुणवत्ता की दृष्टि से गेहूँ की अपेक्षा जौ हलका धान्य है। उत्तर प्रदेश में गर्मी की ऋतु में भूख-प्यास शांत करने के लिए सत्तू का उपयोग अधिक होता है। जौ को भूनकर, पीसकर, उसके आटे में थोड़ा सेंधा नमक और पानी मिलाकर सत्तू बनाया जाता है। कई लोग नमक की जगह गुड़ भी डालते हैं। सत्तू में घी और चीनी मिलाकर भी खाया जाता है।
जौ का सत्तू ठंडा, अग्निप्रदीपक, हलका, कब्ज दूर करने वाला, कफ एवं पित्त को हरने वाला, रूक्षता और मल को दूर करने वाला है। गर्मी से तपे हुए एवं कसरत से थके हुए लोगों के लिए सत्तू पीना हितकर है। मधुमेह के रोगी को जौ का आटा अधिक अनुकूल रहता है। इसके सेवन से शरीर में शक्कर की मात्रा बढ़ती नहीं है। जिसकी चरबी बढ़ गयी हो वह अगर गेहूँ और चावल छोड़कर जौ की रोटी एवं बथुए की या मेथी की भाजी तथा साथ में छाछ का सेवन करे तो धीरे-धीरे चरबी की मात्रा कम हो जाती है। जौ मूत्रल (मूत्र लाने वाला पदार्थ) हैं अतः इन्हें खाने से मूत्र खुलकर आता है।

जौ को कूटकर, ऊपर के मोटे छिलके निकालकर उसको चार गुने पानी में उबालकर तीन चार उफान आने के बाद उतार लो। एक घंटे तक ढककर रख दो। फिर पानी छानकर अलग करो। इसको बार्ली वाटर कहते हैं। बार्ली वाटर पीने से प्यास, उलटी, अतिसार, मूत्रकृच्छ, पेशाब का न आना या रुक-रुककर आना, मूत्रदाह, वृक्कशूल, मूत्राशयशूल आदि में लाभ होता है
औषधि-प्रयोगः
धातुपुष्टिः एक सेर जौ का आटा, एक सेर ताजा घी और एक सेर मिश्री को कूटकर कलईयुक्त बर्तन में गर्म करके, उसमें 10-12 ग्राम काली मिर्च एवं 25 ग्राम इलायची के दानों का चूर्ण मिलाकर पूर्णिमा की रात्रि में छत पर ओस में रख दो। उसमें से हररोज सुबह 60-60 ग्राम लेकर खाने से धातुपुष्टि होती है।
गर्भपातः जौ के आटे को एवं मिश्री को समान मात्रा में मिलाकर खाने से बार-बार होने वाला गर्भपात रुकता है
@ जौ का पानी :-
जौ में विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स - आयरन - कैल्शियम - मैग्नीशियम - मैगनीज - सेलेनियम - जिंक - कॉपर - प्रोटीन - अमीनो एसिड - डायट्री फाइबर्स और कई तरह के एंटी - ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं !
रोज जौ का पानी पीने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का अंत हो जाता है !
कई बीमारियों के होने का खतरा भी बहुत कम हो जाता है !
@ ऐसे तैयार करें जौ का पानी :-
जौ को अच्छी तरह से धोकर पानी में भिगो दें !
कम से कम 5 घंटे बाद भीगे हुए जौ मध्यम आंच पर 1 घंटे तक उबलने दें !
ठंडा होने पर छान कांच के जार में भर लें - दिन में एक से दो गिलास पीएं !
* वजन घटाना हो तो जौ का पानी पीएं !
* किडनी या यूरीन से जुड़ी कोई समस्या हो तो जौ का पानी बेहद फायदेमंद है !
* शुगर लेवल को सही रखता है जौ का पानी - डायबिटीज की समस्या है तो जौ काम में लें !
* ब्लड कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में जौ का पानी असरदार है - इससे हार्ट भी सेहतमंद रहता है !
* जौ का पानी पीने से शरीर के भीतर मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं - इम्यून सिस्टम को भी बेहतर बनाए रखता है !
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* per 1 लीटर पानी में 1 table spoon ( बड़े चम्मच ) जौ डालकर उबालें !
उबालने के वक्त ढक्कन को अच्छी तरह से लगा दें ताकि जौ के दाने अच्छी तरह से पक जायें !
जब यह मिश्रण पानी के साथ घुलकर हल्के गुलाबी रंग का पारदर्शी मिश्रण बन जायें तो समझ जाना चाहिए कि यह पीने के लिए तैयार है - इसको छानकर रोज इसका सेवन करें !
aap din bhar ke liye 2 se 3 ltr paani Isi Anupat me Barley mila taiyar Kre !
Rozana Taza Bnaye !
** इसमें नींबू, शहद और नमक भी डाल सकते हैं !
*** छिलके वाले में ज्यादा फाइबर होता है और पकाने में ज्यादा समय लगता है इसलिए बिना छिलके वाले पकाने में आसान हैं !

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