आयोडिनयुक्त नमक का बहिष्कार करें, वरना बहुत लेट हो जायेंगे.!*
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*सेंधा नमक :*
*अगर समुद्री नमक शुद्ध है वृतों में इसे क्यों नहीं खाते हैं.?*
*अब जानिये, भारत से कैसे गायब कर दिया गया.?*
सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।
*सेंधा नमक:-*
आप सोच रहे होंगे कि ये सेंधा नमक बनता कैसे है.?
आइये आज हम आपको बताते हैं कि मुख्य नमक कितने प्रकार के होते हैं.!
● एक होता है समुद्री नमक
●दूसरा होता है सेंधा नमक (रॉक साल्ट या एप्सम साल्ट).!
● तीसरा होता है काला नमक।
सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है.!
पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, 'लाहोरी नमक' आदि नाम से जाना जाता है.!
जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’।
वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है, सुरंगे है.!
वहाँ से ये नमक आता है.!
मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह हृदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है। इससे पाचक रस बढ़ते हैं।
अंत में आप इस समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले !
काला नमक, सेंधा नमक प्रयोग करे, क्यूंकि ये प्रकृति का बनाया हुआ है, ईश्वर का बनाया हुआ है !!
*सदैव एक बात जरूर याद रखना कि इंसान जरूर शैतान हो सकता है लेकिन भगवान कभी शैतान नहीं होता !!*
आयोडीन के नाम पर हम जो नमक खाते हैं उसमें कोर्इ तत्व नहीं होता।
आयोडीन और फ्रीफ्लो नमक बनाते समय नमक से सारे तत्व निकाल लिए जाते हैं और उनकी बिक्री अलग से करके बाजार में सिर्फ सोडियम वाला नमक ही उपलब्ध होता है जो आयोडीन की कमी के नाम पर पूरे देश में बेचा जाता है, जबकि आयोडीन की कमी सिर्फ पर्वतीय क्षेत्रों में ही पार्इ जाती है इसलिए आयोडीन युक्त नमक केवल उन्ही क्षेत्रों के लिए जरुरी है।
भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था।
विदेशी कम्पनियां भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है, उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है।
हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियो (अन्नपूर्णा, कैपटन कुक वगैरह) ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ !
*अब समझिए खेल क्या था ??*
खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत मे एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ, आयोडीन युक्त नमक खाओ !
आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है !
ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई और जो नमक किसी जमाने मे 2 से 3 रूपये किलो मे बिकता था !
उसकी जगह आयोडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 25 से 30 रूपये को भी पार कर गया है !
दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक, 40 साल पहले बैन कर दिया...
अमेरिका मे नहीं है।❌
जर्मनी मे नहीं है।❌
फ्रांस मे नहीं।❌
डेन्मार्क मे नहीं।❌
बस यहीं बेचा जा रहा है।
डेन्मार्क की सरकार ने 1956 मे आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ??
उनकी सरकार ने कहा हमने आयोडीन युक्त नमक खिलाया (1940 से 1956 तक) और अधिकांश लोग नपुंसक हो गए !
*अति आयोडिन युक्त नमक के दुस्परिणाम जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया।*
उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया और शुरू के दिनो मे जब हमारे देश मे ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक बिक नहीं सकता भारत मे।
वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।
आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे !
सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (Alkaline)।
क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं।
*ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास, व्रत मे सब सेंधा नमक ही खाते है..!!*
*तो आप खुद ही सोचिए कि...*
*जो समुंदरी नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है.?*
सेंधा नमक शरीर मे 84 पोषक तत्वो की कमी को पूरा करता है।
इन पोषक तत्वो की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis) का अटैक आने का सबसे बढ़ा जोखिम होता है।
सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।
यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है।
यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भास्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।
*समुद्री नमक :-*
ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है क्योंकि कंपनियाँ इसमे अतिरिक्त आयोडीन डाल रही है।
अब आयोडीन भी दो तरह का होता है...
एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक मे होता है।
दूसरा होता है इंडस्ट्रियल आयोडीन।
ये बहुत ही खतरनाक है।
तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त इंडस्ट्रियल आयोडीन डाल को पूरे देश को बेच रही है! जिससे बहुत सी गंभीर बीमरिया हम लोगो को आ रही है।
*ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों मे निर्मित है !*
आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (हाई बीपी), डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है।
इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है ! जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है।
ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (Diamond) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है और ये नमक नपुंसकता और लकवा (Paralysis) का बहुत बड़ा कारण है।
समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते है और बीमारिया जरूर साथ मे मिल जाती है !
रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है।
यह शरीर में घुलता नही है।
इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए ट्राईकैल्शियम, फॉस्फेट, मैग्नेशियम कार्बोनेट, सोडियम अल्युमिनो सिलीकेट जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है।
विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना और आक्सीजन जाने मे परेशानी होती है, जोड़ो का दर्द और गढिया, प्रोस्टेट आदि होती है।
आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है।
1 ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है।
यह पानी कोशिकाओ के पानी को कम करता है।
इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।
*निवेदन :-*
पांच हजार साल पुरानी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी भोजन में सेंधा नमक के ही इस्तेमाल की सलाह दी गई है।
भोजन में नमक व मसाले का प्रयोग भारत, नेपाल, चीन, बंगलादेश और पाकिस्तान में अधिक होता है।
आजकल बाजार में ज्यादातर समुद्री जल से तैयार नमक ही मिलता है जबकि 1960 के दशक में देश में लाहौरी नमक मिलता था।
यहां तक कि राशन की दुकानों पर भी इसी नमक का वितरण किया जाता था।
स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता था।
समुद्री नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग होना चाहिए।
आप इस अतिरिक्त आयोडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये।
सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आयोडीन हर नमक मे होता है सेंधा नमक मे भी आयोडीन होता है..
बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक मे प्राकृतिक के द्वारा भगवान द्वारा बनाया आयोडीन होता है।
इसके इलावा आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।
दोस्तों आयोडिन युक्त नमक के लाभ बहुत कम हैं और हानियों बेसुमार...
अत: समय रहते सजग हो जाइये...
एक मुहिम के अंतर्गत हमें इनके (आयोडिन नमक) उपयोग का बहिष्कार करें...
अपने व अपने आनेवाली पीढ़ियों को बचायें...
आज के बाद आयोडिन नमक का इस्तेमाल न करेगे न किसी को करने देगें।
*आइये वापस*
*प्रकृति की ओर, समय रहते लौट आयें।*
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