#हथोड़े से सारे #दांत तोड़े,
उनके नाखून खींच लिए,
सभी हड्डियों तोड़ी,
अंतिम संस्कार न करके
पार्थिव शरीर को खाड़ी में फेंका!
ऐसे दधीचि जैसा क्रांतिकारी कौन था?
इतनी यातनाएं सहने के बाद भी जिसने अपने अंतिम सन्देश में कहा:-
"मौत मेरे दरवाजे पर दस्तक दे रही है, केवल मेरा एक सुनहरा सपना है-स्वतंत्र भारत का सपना .... कभी भी चटगांव क्रांति को मत भूलना ...अपने दिल में देशभक्तों के नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखना जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता की वेदी पर अपना जीवन बलिदान किया है।"
वो थे मास्टर_सूर्यसेन...
जिन्होंने इंडियन_रिपब्लिक_आर्मी की स्थापना की,
जो चटगांव की क्रांति के नायक थे,
जिन्होंने अंग्रेजो के शस्त्रागार को लूट कर चटगांव में अंग्रेजी शासन को समाप्त किया और 1930 में तिरंगा फहराया....
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