Triphala Ghrut – त्रिफलाघृत
Triphala Ghritam or Ghrita is a classical polyherbal ayurvedic formulation that chiefly aims at treating and managing all sorts of eye anomalies like conjunctivitis, dry eyes, eye irritation, computer vision syndrome etc. The concoction is formulated according to the principles of Panchakarma and mainly comprises of desi Gir cow’s ghee medicated with the wonder Triphala powder. Imbued with neuroprotective, adaptogenic, antioxidant, rejuvenating, anti-microbial, anti-inflammatory, anti-obesity, cardioprotective and anti-diabetic properties, it extensively reduces lens opacity, improves vision, brings clarity and protects the eyes from various diseases. Apart from uplifting eye health, this ghrita formulation is also indicated for stress, anxiety, and insomnia. Additionally, it is also a potent digestive and appetizer.
त्रिफलाघृत में उपयोग की गई औषधि :- हरड़े, बहेड़ा, आमला, अरडूसी का रस, भांगरा का रस,लिंडी- पिपर, द्राक्ष, सफ़ेद सुखड,
सिंधव, बलदाना, काकोली,शीरकाकौली,काला मरी, सूंठ,साकर,सफ़ेद कमल, साटोडी, हल्दी, जेष्ठीमध,पुनर्नवा
त्रिफलाघृत के फायदे:- आँखो का अंधापा दूर होता है, आँखो की रोशनी बढ़ती है, आँखो में चल, पित्ररोग, आँखो की खरज, आँखो में से पानी जरना,
आँखो के पटल में तिमिररोग, मोतियों, ऐसी सभी आँखो की भयंकर बीमारिया ठीक होती है|
उपयोग
हर रोज एक चम्मच दूध और शक्कर के साथ ले सकते हो और गरम रोटी और गर्म चावल के साथ भी ले सकते हो
Kashisadi Ghrut (कासीसादी घृत)
This ayurvedic prepration is infused with the herbs that have been known to heal wounds and lesions in body that may be caused due to imbalance of Vat- pitta- kapha.
Kasisa, Haridra, Daruharidra, Haritala, Manahshila, Kampillaka, Gandhaka, Vidanga, Guggulu-shuddha, Sikthaka (Madhucchishta), Marica, Kushtha, Tutthaka, Gaura sarshapa, Rasanjana (Daruharidra) Sindura, Shrivasa (sarala)-Niryasa, Raktacandana, Irimeda (Arimeda), Nimba Patra, Karanja, Sariva, Vaca, Manjishtha, Madhuka, Mansi (Jatamansi), Shirisha, Lodhra, Padmaka, Haritaki, Prapunnata, Ghrita (Goghrita) all are nectarine in nature that are considered immensely beneficial is healing the wounds, superficial lesions and is also capable to fight any kind of infectious germs.
Kasisadi ghruta can bring relief in skin problems like skin allergies like eczema, leucoderma, itching etc. The ghruta has the efficacy to cure pain and soreness in conditions of warts, fissures and wounds.
Note – This Ghruta is only meant for external use only.
(Non-Edible Clarified Ghee)
कासीसादिघृत
श्लोक बुक नाम :- शार्ङ्गधरसंहिता – मध्यम्खंड
श्लोक नंबर :- ४९,५०,५१,५२,५३,५४,५५,
कासीसादिघृत के फायदे:-काशीसादिघृत का लेप लगाने से शरीर के चर्म के सारे रोग नष्ट होते है जैसे की कोढ़, खुजली, दादर, खस, खारजवू, रतवा, विस्फोटक पत, शुकदोस, सिरस्फोट, उपदंश, नाड़ीव्रण, दुष्टव्रण, शोथ, करोरिया ऐसे रोग नष्ट होते है|
यह घी खाने के लिए नहीं हे , इसका उपयोग शरीर पर लगाने के लिए करते हे.
Amruta Ghrut (अमृताघृत)
Amruta Ghrut
Amruta Ghrut is prepared by adding extract of Giloy and Juice of Neem Giloy to cow’s milk. Thus this ghruta is infused with the powerful immunity booster ingredients which upon consumption has the potentiality to cure pitta, vaat-rakt, kusht and other incurable skin ailments as quoted in Ayurvedic texts (Sharangvdhar samhita)
It is fit to be consumed by anyone because of its flawless and nectarine quality. Amrut ghrut is beneficial to bring relief in circulatory problems, heart issues and is a time tested, potent wormicidal concoction.
It can be taken every morning or twice a day in 5-10g in quantity with warm water. This food supplement is a good immunity booster that is helpful to keep infections at bay.
It may be taken as remedy for psoriasis and leucoderma.
अमृताघृत
श्लोक बुक नाम :- शार्ङ्गधरसंहिता – मध्यम्खंड
श्लोक नंबर :- ४२
अमृताघृत में उपयोग की गई औषधि :- घृत,गिलोय का कल्क,गिलोय का क्वाथ, पानी, गाय का दूध
अमृताघृत के फायदे :- अमृताघृत का सेवन करने से पत का रोग और कोढ की बीमारी ठीक होती है|
हर रोज एक चम्मच दूध और शक्कर के साथ ले सकते हो और गरम रोटी और गर्म चावल के साथ भी ले सकते हो
Sada Jivanti Ghrut (सादा जीवंती घृत)
Sada Jeevanti Ghruta is imbued with all good qualities of jeevanti
Jeevant is a traditional medicinal plant species widely used to treat various ailments such as tuberculosis, hematopoiesis, emaciation, cough, dyspnea, fever, burning sensation, night blindness, cancer, and dysentery. In Ayurveda, it is known for its revitalizing, rejuvenating, and lactogenic properties.
The therapeutic potential of this herb is because of the presence of diverse bioactive compounds such as α-amyrin, β-amyrin, ferulic acid, luteolin, diosmetin, rutin, β-sitosterol, stigmasterol, hentricontanol, a triterpene alcohol simiarenol, apigenin, reticulin, deniculatin, and leptaculatin.
Shree Gir Goras now brings Sada Jeevanti Ghruta for all those who are looking for a natural solution for eye allergies and eye problems. It has the potency to improve vision and brings relief in eye irritation and redness.
Sada Jeevanti Ghruta is an excellent tonic for pregnant mother as it protects and nourishes the fetus and post pregnancy it has the property to enhance lactation in mother.
Doage – One t spoon daily with milk or with hot chappati or rice.
फायदे
- आंखों की रोशनी बढ़ाता है
- आंखों की एलर्जी में लाभकारी है
- आंखों का लालापन और खुजली में लाभकारी है
- गर्भ को मजबूत बनाता है
- गर्भवती महिलाएं जो इसका सेवन करें तो आने वाले बच्चों को आंखों की प्रॉब्लम नहीं होती है
- आंखों को मजबूत बनाता हे
- आंखों के संबंधित सारी समस्याओं के लिए लाभकारी है
उपयोग
हर रोज एक चम्मच दूध और शक्कर के साथ ले सकते हो और गरम रोटी और गर्म चावल के साथ भी ले सकते हो
Ashtamangal Ghrut – अष्टमंगलघृत
In classical Ayurvedic texts Lehana Karma is done for inadequate growth and development without having any disease. Health of the child depends on Lehana.For Lehana Karma, many compounds have been prescribed in that Ashtamangal Ghrita is one of them, which is a polyherbal formulation as it content eight drugs –Bramhi, Vacha, Pippali, Sariva, Kushtha, Siddarthaka (Brassica campestris), Saindhava and Ghrita. This formulation is used as Rakshoghna (protection from the infection), enhance Medha(intellect) and Smriti. In Ayurveda, there are ample evidence of many nootropic drugs uses for improvement and enhancement of mental sub-capability. Classically, it is explained in the samhita like Vagabhatta1,
Yogratnakar2 and Kashyap Samhita3 and Yogaratnakar as:
“वचाकुष्ठंब्राम्हीससध्दाथथकमापऩ वा।
साररवासैंधवन्चैव पऩप्ऩऱीघ्रितमष्टमम॥
मेध्यंघ्रितसमदंससध्दंऩातव्यन्च ददनै:ददनै:।
दृढस्म्रिघ्रत:क्षप्रमेधा:कुमारो बुस्म्ध्दमानभवेत।
न च पऩशाचानरसस नभुतानचमातर:॥
प्रभवस्म्न्तकुमाराणांपऩबताष्टमड़ऱम॥“1
- Abstract—Ashtamangal Ghrit is one formulation Mentioned in Rakshoghna (protection from the infection), enhance Medha (intellect) and Smriti. It was explained in Vagabhatta1 , Yogratnakar2 and Kashyap Samhita3. It contains Acarus calamus Linn. (Fam. Araceae),Saussurea lappa C.B.Clarke (Fam. Compositae), Bacopa monnieri (Linn.) Wettst., Syn. Herpestis monnieria (LiM.) H.B.& K. (Fam. Scrophulariaceae),Hemidesmus indicus (Linn.) R. Br. (Fam. Asclepiadaceae), Piper longum Linn. (Fam. Piperaceae), Brassica campestris Linn. (Fam.Brassicaceae), Ghee and Saindhav.
मेघाजनकं घृतम (अष्टमंगलघृत) में उपयोग की गई औषधि :- घृत, जल, बच, कूठ, ब्रह्मी, सफेदसरसो अनन्तमूल, सैंधानोन, पीपल, बायबिडंग और नागरमोथ
मेघाजनकं घृतम (अष्टमंगलघृत) के फायदे:- यह मघ्य घृत बालकोंको प्रतिदिन पिलानेसे बालकोंकी मेघा बढ़ती है, स्मरणशक्ति दृढ़ होती है और बुद्धिमान होते है|
उपयोग
हर रोज एक चम्मच दूध और शक्कर के साथ ले सकते हो और गरम रोटी और गर्म चावल के साथ भी ले सकते हो
Kumar Kalyan Ghrut – कुमारकल्याण घृत
It is useful to treat emaciation , tooth eruption disorders , whooping cough and all the diseases of the child.
Benefits
1.It improves strength , immunity , complexion and intelligence. 2. It improves taste and digestion power. 3. It is helpful in controlling teething pain in infants. 4. It is used for the treatment of whooping cough , muscle wasting in children’s and improves nourishment.
Dose
Quarter to half teaspoon with milk , once or twice a day. or as directed by the physician.
How long to use?
This product can be used for a period of 2 -3 months of time , based on your doctor’s advice.
कुमारकल्याण घृतम में उपयोग की गई औषधि :- घृत, कटेरीका स्वरस, गाय का दूध, दाख, बूरा, सोंठ, जीवन्ति, जीरा, खिरैटी, कचूर, घमासा, बेल, अनारकी छाल, तुलसी, शालीपर्णी, नागरमोथ, पोह-करमूल, इलायची, गजपीपल
कुमारकल्याण घृतम के फायदे:- यह घृत बालकोंको सुखदेनेवाला है | और सर्वरोगो को हरनेवाला है|
उपयोग
हर रोज एक चम्मच दूध और शक्कर के साथ ले सकते हो और गरम रोटी और गर्म चावल के साथ भी ले सकते हो
Som Ghrut – सोमघृतम्
श्लोक बुक नाम:- रसरत्नाकर
अथः सोमघृतम् में उपयोग की गई औषधि :- सफेदसरसों, वच, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, पुर्ननवा, क्षीरकाकोली, हरड़, बहेड़ा, आमला, कूठ, कुटकी अनंतमूल, करियावासाऊ, मुलेठी चोरक, मालतीकेफुल, अडू से के फूल, मॅजीठ, देवदारू, सोंठ पीपल, गजपीपल, भांगरा, हल्दी कालानिसोत, सुवर्चला, दशमुल सतावर, चिरचिटा, असगंध
अथः सोमघृतम् के फायदे:- इस घृतको त्रिपदी गायत्री मंत्र से अभिमंत्रित करते है।इसे २ से ६ महीने की गर्भवती स्त्री सेवन करें, इसके सेवन करने से स्त्री सर्वज्ञ और सर्वरोग रहित पुत्र उत्पन्न करती है। जो स्त्री योनिदुष्टा है, जिन मनुष्योका वीर्य दूषित है उन सबके विकारोको यह सोमघृत निश्चय दूर करता पाया गया है। जड़ता, गद्ददपना, गूंगापन, यह सब रोग इस घृतके पीनेसे नि:संदेह दूर होते देखे गए है। इसको सात रोजतक सेवन करनेसे मनुष्य उत्तम स्वरवाले हो सकते है। इस घृतको एक महीने तक सेवन करने से बहरे मनुष्य सुनने लगते हैं। ऐसी मान्यता है जिस घरमे यह सोमघृत रहता है, उस घर में कदापि अग्नि नहीं लगती, न बिजली गिरे और न बालक मरते है।
उपयोग
सुबह शाम 1 चमच गाय के दूध के साथ लेना है।
Brahmi Ghrut – ब्रह्मीघृतम्
श्लोक बुक नाम :- रसरत्नाकर
श्लोक नंबर:- २७
ब्रह्मीघृतम् में उपयोग की गई औषधि :- ब्रह्मीका रस, ब्रह्मी, जवासा, कूठ, शंखपुष्पी, गाय का घृत
ब्रह्मीघृतम् के फायदे
इस घृत का सेवन करने से उन्माद, ग्रहदोष और अपस्माररोग दूर होता है|दिमाग की विकृतियों को शांत करता है। दिमाग को मजबूत करता है। समय से पहले बाल को सफेद होने से बचाता है और बाल को काला बनाता है। इस घी का नस्य करने से बाल काले होते है।माग की विकृतियों को शांत करता है। दिमाग को मजबूत करता है। समय से पहले बाल को सफेद होने से बचाता है और बाल को काला बनाता है। इस घी का नस्य करने से बाल काले होते है।
Suvarna Siddha Ghrut – सुवर्ण सिद्ध घृत
सुवर्ण भस्म (सुवर्णसिद्ध घृतम्) का नियमित सेवन या पुष्यनक्षत्र में सेवन करने पर रजो और तमो गुण नहीं आएंगे। नकारात्मक विचारों से बचा जा सकता है। तो मन में सकारात्मक विचार आते हैं। स्व-प्रतिरक्षित विकार (autoimmune disorder) जैसे कई रोग जैसे कि श्वेतरक्त कोशिकाएं जो शरीर को ही बचाने का काम करती हैं, जो कि शरीर का अपना प्रतिरोध है और शरीर की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। परंतु (autoimmune disorder) स्व-प्रतिरक्षित विकार में सबसे अच्छा होने पर सुवर्ण भस्म (सुवर्णसिद्ध घृतम्) का उपयोग किया जाता है। इम्युनिटी बढ़ाता है, इम्युनिटी को नियंत्रित करता है, स्व-प्रतिरक्षित विकार (autoimmune disorder) में अच्छा काम करता है। रक्त को शुद्ध करता है, शरीर के अंदर जमा हुए विषाक्त पदार्थों को निकालता है, यकृत के कार्य को सक्रिय करता है, आंतों को साफ करता है, किसी भी कैंसर कोशिकाओं के बनने पर उन्हें मारता है। टीबी के मरीज को सुवर्णसिद्ध घृतम् दें और भले ही जो लोग वह दूसरी दवा ले रहे हैं उन्हें भी सुवर्णसिद्ध घृतम् दें। सुवर्णसिद्ध घृतम् देने से टीबी के विष और कीटाणुओं का नाश होता है, शरीर के अंदर कोई बैक्टीरिया/वायरस नहीं बढ़ेगा। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति सुवर्णभस्म (सुवर्णसिद्ध घृतम्) का नियमित रूप से सेवन करता है उसे सर्प विष नहीं चढ़ता, प्रतिरक्षित शरीर (एंटी बॉडी) विकसित होता है, प्रतिभा बढ़ती है, शक्ति बढ़ती है, दीर्घायु बढ़ती है।
इस प्रकार यह घृत शरीर के खनिज तत्वों को बढ़ाने वाला और फायदेमंद होता है।
यह कोई औषधि नहीं है, यह केवल गुणों से भरपूर पोषण वर्धक है।
उपयोग: दिन में 10 से 30 ग्राम ले सकते हैं,गरम रोटी और गर्म चावल के साथ भी ले सकते हो।
फलघृत
(संदर्भ साडँगंधर संहिता से)
औषधियों का यह मिश्रण पुरुष और स्त्री के लिए सभी रोगों में वरदान है
गीर गौ जतन संस्थान द्वारा निर्मित श्री गीर गोरस औषधीय फलघृत स्त्री और पुरुष के प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित सभी परेशानियों को सुलझाने में प्रभावी है। महिलाओं को जो गर्भ धारण करने और बांझपन उपचार से गुजरने में असमर्थ हैं, उन्हें फलघृत से बेहद लाभ हुआ है । गर्भधारित महिलाओ के लिए यह अमृत सामान है ।
फलघतृ के लाभ
• माहवारी को नियमित करने मे लाभकारी।
• यह स्त्रियों में कमर दर्द, शरीर दर्द, पीठ में दर्द, पेडू में दर्द आदि को दूर करने मे उपयोगी।
• बांझपन या बच्चो के न होने मे लाभकारी ।
• यह गर्भाशय को मजबूत करता है तथा बार-बार होने वाले गर्भपात को रोकने मे लाभ करता है।
• इसके सेवन से होने वाले बच्चे के विकास में मदद मिलती है और वह स्वस्थ्य और बुद्धिमान होता है।
• यह इनफर्टिलिटी को दूर करने मे एवं सन्तान प्राप्ति में सहाय करता है।
• यह अत्यंत पौष्टिक है।
• यह स्निग्ध है और आन्तरिक रूक्षता दूर करता है।
• यह वज़न, कान्ति और पाचन को बढ़ाता है।
• यह कब्ज़ से राहत देता है।
• यह दिमाग, नसों, मांस, आँखों, मलाशय आदि को शक्ति प्रदान करता है।
• यह धातुओं को पुष्ट करता है।
• यह पित्त विकार को दूर करता है।
• त्रिदोष पर प्रभाव – शांत वात, पित्त और कफ
• पुरुषों में प्रजनन कमजोरी को दूर करने मे उपयोगी।
• पुरुषों में वीर्य को मजबूती देता है और यौन कमजोरी को दूर करने मे लाभकारी।
फलघृत सामग्री :
जेठीमठ, हल्दी, दारूहरिरा – बरबेरीस अरिस्ताटा, कण्डु, वावडिंग,लिनडीपीपर, नागरमोथ , कायफल , वाज, मेदा, महामेदा, काकोली , क्षीरकाकोली , सफेल उपलसरी, इंद्रावन का
मुल, दाऊला , सौफ , हींग रास्ना, चन्दन, रक्ताचंदन – पटरोकार्पस सैन्टलिनस, जाईना फूल , वंश लोचन , कमल, साकर, अजमो , नेपालका मुल , गोघृत , गोदूध।
मात्रा :
रोज गरम दूध पानी या पानी के साथ 6-12 ग्राम , दिन में दो बार सेवन करे अथवा अपने वैद की सलाह के अनुसार। इसका सेवन लगातार कुछ महीने करे।
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