Saturday, February 4, 2017

आखिर क्या हैं गौमूत्र।

*पञ्चगव्य विज्ञान*

अनेक रोगों से बचाने वाला 21-23 धातुओ से युक्त अद्वितीय प्राकृतिक पेय...
गाय के दूध के अतिरिक्त गो-मूत्र का अर्क भी शरीर में अनेकों प्रकार से मजबूती प्रदान करता हैं| इसके नियमित सेवन से कई प्रकार के रोग शरीर से दूर रहते हैं| गो-मूत्र का सीधा सेवन इसलिये नहीं किया जाता क्योकि उसमें हानिकारक कीटाणुओं की भी सम्भावना हो सकती हैं|
गो-मूत्र का अर्क सारी दुनिया में अकेला ऐसा तरल पदार्थ हैं जिसके प्राकृतिक रूप में अर्थात बिना किसी बाहरी मिलावट के २१ महत्वपूर्ण धातुएं उपस्थित होती हैं| ये धातुएं इस प्रकार हैं:-
• नाइट्रोजन – रक्त में अनावश्यक तत्वों को निकलने का कार्य, मूत्र मार्ग के प्राकृतिक संचालन से किडनी को स्वास्थ्य रखना|
• सल्फर- बड़ी आंत में मल का प्रवाह बनाये रखना एवं रक्त शुद्धी|
• अमोनिया- बाईल जूस तथा शरीर वायु को बनाये रखना| रक्त निर्माण|
• कॉपर [ताम्बा]- अनावश्यक जमा वसा को नियंत्रित रखना| वायु मंडलीय तरंगो से जीवनी शक्ति के करंट स्वीकार करना|
• आयरन [लौह]- लाल रक्त कौशिकाओ का निर्माण, हिमोग्लोबिन स्तर को संतुलित रखना, कार्य क्षमता बनाये रखना, ग्लूकोज स्तर को नियंत्रित रखना|
• यूरिया- रक्त में से अनावश्यक तत्वों को निकलने का कार्य, मूत्र मार्क के प्राकृतिक संचालन से किडनी को स्वस्थ्य रखना|
• यूरिक एसिड- हृदय की सूजन हटाना|
• फास्फेट- रक्त मार्ग से पथरी पैदा करने वाले तत्वों को हटाना|
• सोडियम- रक्त शुद्धी|
• पोटेशियम-अस्थियों की कमजोरी दूर करना, भूख लगाना, पेशियों की कमजोरी और आलस्य को दूर करना|
• मैंगनीज- हानिकारक कीटाणुओं की वृद्धि रोकना और जख्मों से होने वाली हानी से सुरक्षा|
• कार्बोलिक एसिड- कीटाणुओं को मारना, उनकी वृद्धि रोकना और जख्मो से होने वाली हानी से सुरक्षा|
• कैल्शियम- रक्त शुद्धी, अस्थियों की मजबूती, कीटाणुओं को मारना|
• साल्ट- रक्त एन एसिड को कम करना और कीटाणुओं को मारना|
• विटामिन- ए, बी, सी, डी, ई- सभी विटामिन मिलकर जीवनी शक्ति को बढ़ाते हैं, तंत्रिका तंत्र के रोगों से मुक्त रखते हैं| हड्डियों को मजबूती प्रदान करते हैं तथा प्रजनन क्षमता को शक्तिशाली बनाते हैं|
• लैक्टोज- मुख एवं हृदय को मजबूती प्रदान करना, प्यास को कम करना|
• एन्जाइम्स- शरीर में पाचन क्रिया में सहायक तत्वों का निर्माण करते हैं, जीवनी शक्ति को बढ़ाते हैं|
• जल- यह जीवन का आधार हैं. रक्त की तरलता बनाये रखता हैं, शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता हैं|
• हाइप्युरिक एसिड- मूत्र मार्क में से हानिकारक तत्वों को हटाता हैं|
• क्रियेटिनाइन- हानि कारक कीटाणुओं को मारना|
• आँरम हाइड्रोक्साइड-एंटीबायोटिक तथा एंटीटाँक्सिक होने के कारण हानिकारक कीटाणुओं को मारना तथा जीवनी शक्ति को बढ़ाना|
गो-मूत्र का अर्क शरीर के ऊतको के स्तर तक पहुच जाता हैं| यह पाचन क्रिया के साथ साथ बुद्धि के कार्यों को भी सुगमता प्रदान करता हैं| पेट के किसी भी प्रकार के दर्द, कब्ज या अपच शिकायतों का निवारण करता हैं| आँतो में हानिकारक कीटाणुओं का पैदा होना एक सामान्य सी बात हैं| गो-मूत्र का अर्क आँतो के इस रोग को सदैव दूर रखता हैं| किसी भी प्रकार का त्वचा रोग नहीं होता| यह एक प्रकार से शरीर को शुद्ध करने का तरीका हैं| हमारा शरीर पूर्ण रूप से कीटाणु रहित हो सकता हैं| यहाँ तक कि गो-मूत्र के अर्क का सेवन करने वाले शरीर में कभी कैन्सर जैसी बीमारी पैदा नही हो सकती| अनेको आयुर्वेदिक ओषधियों का निर्माण गो-मूत्र से ही किया जाता हैं| एड्स ग्रस्त रोगियों के लिए भी गो-मूत्र का अर्क रामबाण सिद्ध होता हैं| तनाव के कारण सिरदर्द से ग्रस्त व्यक्तिओ के लिए भी गो-मूत्र का अर्क लाभकारी हैं|

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