Saturday, April 26, 2025

सेकुलर हिंदू कौन है ?

जो इस पोस्ट को पढ़कर भी चुप्पी साध कर भाईचारे की पतली गली निकल ले😔😔

अभी भी समय है जात पात छोड़ो नहीं तो निक्कर उतरेगा ,और पड़ेगी माथे में गोली 😡 सब सेकुलर नीति घुश जाएगी !

66 वर्षीय सेकुलर कश्मीरी कवि सर्वानंद कौल ‘कुरान’ साथ रखते थे फिर भी उनके बेटे के साथ उनकी हत्या कर पेड़ से टाँग दिया, जहाँ लगाते थे 'तिलक' वहाँ की चमड़ी छील दी 

‘पहलगाम की घटना ने तमाम भयावह जिहादी यातनाओ को एक बार फिर से स्वर दिया है, जिसे कश्मीर में हिंदुओं ने भोगा था। इनमें से एक कहानी सर्वानंद कौल ‘प्रेमी’ की भी है। 

66 साल के कौल को इस्लामी आतंकियों ने उनके 27 साल के बेटे के साथ मार डाला था। उनकी पेड़ से टँगी लाश मिली थी। तिलक करने की जगह को छील कर चमड़ी हटा दी गई थी।

पूरे शरीर पर सिगरेट से जलाने के निशान थे। 

हड्डियाँ तोड़ दी गई थी। 

पिता-पुत्र की आँखें निकाल ली गई थी। 

दोनों को फँदे से लटकाने के बाद मृत्यु सुनिश्चित करने के लिए गोली भी मारी गई थी। 

पिता-पुत्र की लाश 1 मई 1990 को मिली थी। अब कश्मीरी पंडित इस तारीख को ‘शहीदी दिवस’ या ‘शहादत दिवस’ के रूप में मनाते हैं।

कौन थे सर्वानंद कौल ‘प्रेमी’?

सर्वानंद कौल उन कश्मीरी हिंदुओं में से थे, जिन्हें 19 जनवरी 1990 की तारीख भी नहीं डरा पाई थी। जब सब हिंदू जान बचाकर भाग रहे थे, तब उन्होंने कश्मीर में ही रहने का फैसला किया। 

उन्हें यकीन था कि उनकी समाज में जो ‘साख’ है, उसके कारण कोई भी उनके परिवार को नहीं छू सकता। 

वे कवि थे। 
अनुवादक थे। 
लेखक थे। 

इतने मशहूर थे कि कश्मीरी शायर महजूर ने उन्हें ‘प्रेमी’ उपनाम दिया था। 

दो दर्जन से अधिक किताबें लिखी थी। 

‘भगवद गीता’, ‘रामायण’ और रवींद्रनाथ टैगोर की ‘गीतांजलि’ का कश्मीरी में अनुवाद किया था।

बताते हैं कि संस्कृत, फ़ारसी, हिंदी, अंग्रेजी, कश्मीरी और उर्दू पर उनकी एक जैसी पकड़ थी। 

‘सेकुलर’ इतने थे कि उनके पूजा घर में कुरान भी रखी हुई थी।

जब सर्वानंद कौल के घर पहुँचे ‘सेकुलर’ आतंकी

अप्रैल 1990 खत्म होने को था। 

एक रात तीन ‘सेकुलर’ आतंकियों ने कौल के दरवाजे पर दस्तक दी। परिवार को एक जगह बिठाया और कहा कि सारे गहने-जेवर एक खाली सूटकेस में रख दे। 

कौल से कहा कि वे सूटकेस लेकर उनके साथ आएँ। 

घरवाले जब रोने लगे तो उन्होंने कहा, “अरे! हम प्रेमी जी को कोई नुकसान नहीं पहुँचाएँगे। हम उन्हें वापस भेज देंगे।” 

27 साल के बेटे वीरेन्द्र ने कहा कि पिता को अँधेरे में वापसी में समस्या होगी, तो वे साथ जाना चाहते हैं। 

आतंकियों ने कहा, “आ जाओ, अगर तुम्हारी भी यही इच्छा है तो!” दो दिन बाद दोनों की लाशें मिलीं थी। किस हालत में मिली थी, यह आप ऊपर पढ़ ही चुके हैं।

‘हमने कभी नहीं सोचा था कि हमें टारगेट किया जाएगा’

सालों बाद सर्वानन्द कौल के बड़े बेटे राजिंदर कौल ने उस घटना के बारे में इंडिया टुडे को बताया था। जिस रात आतंकी कौल और उनके बेटे को ले गए थे काफी बारिश हो रही थी। राजिंदर ने बताया था, “हमने कभी नहीं सोचा था कि हमें टारगेट किया जाएगा। उम्मीद की थी कि दोनों (पिता और भाई) जल्द ही लौट आएँगे। मगर उनके शव मिले थे। 

मेरा भाई केवल 27 वर्ष का था, हाल ही में उसकी शादी हुई थी और उसका एक छोटा बच्चा था।”

‘मुस्लिम खुद कहते थे- बाल-बाँका नहीं होने देंगे’

राजिंदर के अनुसार जिस दिन उनके पिता और भाई की लाश मिली थी, उस दिन विश्वास और भाईचारे के तमाम पुल बह गए थे। जो भी बचे हुए कश्मीरी पंडित थे उन्होंने भी घाटी छोड़ दिया। 

5 मई को सर्वानंद कौल के परिवार में जो बच गए थे वे भी कश्मीर से निकल गए और फिर लौटकर भी वहाँ न गए।

 राजिंदर ने बताया था, “मेरे पिता और परिवार की क्षेत्र में बहुत ज्यादा इज्जत थी। स्थानीय मुस्लिम खुद कहते थे- वे हमारा बाल-बाँका नहीं होने देंगे।”

लेकिन इन लोगों ने हमारे विश्वास का गला घोंट दिया , मैंने मेरे पिता और भाई को खो दिया , उनको खोने से भी ज्यादा दुःख इस बात का है कि उनको तड़पा तड़पा कर मुस्लिमों ने दर्दनाक मौत दी, यह कहते हुए राजिंदर कौल दहाड़े मार मार कर रोने लगे और पूरी तरह ग़महीन माहौल सन्नाटा छा गया।

सिर्फ आंसू 

ॐ शांति शांति शांति 

पहलगाम की घटना तो 1990 की घटनाओ के समक्ष कुछ भी नहीं लेकिन इन सब घटनाओं के बावजूद भी हिंदुओं के भीतर सेकुरलिज्म का कीड़ा और कांग्रेस का नशा उतरता नहीं है। उन्हें आज भी न आतंकियों का मजहब दिखाई देता है न उनकी मंशा दिखाई देती है आज भी हिन्दू ‘भाईचारे' की अफीम न केवल स्वयं सूंघ रहा है वल्कि अन्य हिन्दुओं 
 भी सुंघाने को तत्पर है।

साभार श्री जितेंद्र सिंह जी
हिंदू हो तो एक रहो. 

Wednesday, April 2, 2025

वक्फ_बोर्ड: सनातन समाज के साथ अन्याय का प्रतीक।

विश्वजीत सिंह अनंत 
राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय सनातन पार्टी

आज हम एक ऐसे षड्यंत्र के विरुद्ध बताने जा रहे है, जिसने हमारे धर्मस्थलों, पवित्र भूमि, सभ्यता और संस्कृति पर आघात किया है। वक्फ बोर्ड – एक ऐसा संस्थान जो हमारे पूर्वजों की मेहनत से अर्जित भूमि को एक विशेष समुदाय के नियंत्रण में देता है। यह कानून 1913 में अंग्रेजों द्वारा लागू किया गया, जिसे नेहरू श्यामाप्रसाद की सरकार ने जारी रखा, और कांग्रेस-भाजपा सरकार ने 7 दशकों में इसकी शक्ति कई गुणी कर दी।

वक्फ बोर्ड के ज़रिए सनातन समाज की भूमि पर कब्ज़ा

गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बताया कि 1913 से 2013 तक वक्फ बोर्ड के पास कुल 18 लाख एकड़ जमीन थी। 2013 से 2025 के बीच, कांग्रेस और भाजपा सरकारों ने इसमें 21 लाख एकड़ जमीन शामिल करके अल्लाह के नाम पर मुसलमानों को दान कर दी, अब वक्फ बोर्ड के पास 39 लाख एकड जमीन हैं।

भारत में वक्फ संपत्ति का इतिहास 12वीं सदी के अंत में दो गांवों से शुरू हुआ और अब यह 39 लाख एकड़ तक पहुंच गया है. ध्यान रखने वाली बात ये है कि पिछले 12 सालों में भारत में वक्फ बोर्ड के तहत कुल जमीन दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। आज, वक्फ बोर्ड के पास जितनी भूमि है, उतनी किसी अन्य धार्मिक संस्था या संगठन के पास नहीं है।

क्या है वक्फ बोर्ड का षड्यंत्र?

स्वतंत्र ऑडिट का अभाव: वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का कोई स्वतंत्र ऑडिट नहीं होता, जिससे पारदर्शिता की कमी होती है।

न्यायाधिकरण में पक्षपात: वक्फ ट्रिब्यूनल में मुस्लिम समुदाय के लोग ही न्यायाधीश होते हैं, जिससे निष्पक्ष न्याय में बाधा आती है।

भूमि अधिग्रहण की मनमानी: किसी भी भूमि को वक्फ घोषित कर उस पर स्थायी अधिकार प्राप्त किया जा सकता है, चाहे वह भूमि किसी अन्य समुदाय की ही क्यों न हो।

पुरातात्विक स्थलों पर कब्ज़ा: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के स्थलों पर भी वक्फ बोर्ड ने दावा किया है, जिससे हमारी धरोहरों पर खतरा मंडरा रहा है।

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 में क्या परिवर्तन हुए?

हाल ही में प्रस्तुत वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं:

धारा 40 का निष्कासन: इस धारा के तहत वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने का अधिकार था। संशोधन में इस धारा को हटाया गया है, जिससे अब बिना प्रमाण के किसी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं किया जा सकेगा।

'वक्फ बाय यूजर' का उन्मूलन: 'वक्फ बाय यूजर' की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है, जिससे अब केवल विधिवत् समर्पित संपत्तियों को ही वक्फ माना जाएगा।

न्यायाधिकरण में सुधार: वक्फ ट्रिब्यूनल में इस्लामिक कानून के विशेषज्ञों को हटाकर निष्पक्षता सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है।

संपत्ति पंजीकरण में पारदर्शिता: सभी वक्फ संपत्तियों का डिजिटल पंजीकरण अनिवार्य किया गया है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।

लेकिन यह संशोधन अधूरा है! हिंदू समाज की जो संपत्तियां पहले ही वक्फ के नाम कर दी गई हैं, उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। मंदिरों, ट्रस्टों, और आम जनता की भूमि अभी भी उनके अधीन बनी रहेगी। सरकार ने केवल अपनी सरकारी संपत्तियां सुरक्षित कर लीं, लेकिन सनातनी जनता को उनके हाल पर छोड़ दिया। यह अस्वीकार्य है!

राष्ट्रीय सनातन पार्टी का संकल्प:

वक्फ बोर्ड का पूर्ण उन्मूलन: वक्फ बोर्ड को पूरी तरह से समाप्त किया जाए, ताकि किसी भी समुदाय को विशेषाधिकार न मिले।

संपत्तियों का राष्ट्रीयकरण: वक्फ की सभी संपत्तियों का राष्ट्रीयकरण किया जाए, जिससे उनका उपयोग राष्ट्रहित में हो सके।

मंदिरों और ट्रस्टों की सुरक्षा: मंदिरों और ट्रस्टों की संपत्तियों को वक्फ के दायरे से मुक्त किया जाए और उनकी स्वतंत्रता सुनिश्चित की जाए।

भूमि की वापसी: सनातनी जनता की छीनी गई जमीनों को वापस लिया जाए और उन्हें उनके वास्तविक मालिकों को सौंपा जाए।

समान नागरिक संहिता का लागू होना: एक समान नागरिक संहिता लागू कर सभी समुदायों के लिए समान कानून और अधिकार सुनिश्चित किए जाएं।

आज हमें यह संकल्प लेना होगा कि हम अपने पूर्वजों की भूमि, अपने मंदिरों, अपने आश्रमों और अपनी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करेंगे। यह धर्मयुद्ध है, और इसमें विजय प्राप्त करना हमारा कर्तव्य है। "राष्ट्रहित सर्वोपरि" के मंत्र को आत्मसात करते हुए, हम वक्फ के जड़मूल से उन्मूलन तक संघर्ष करेंगे।

**जय सनातन! जय हिंदू राष्ट्र!**

#राष्ट्रीय_सनातन_पार्टी सनातनियों के लिए सर्वोत्तम राजनीतिक विकल्प है, सनातन धर्म को संवैधानिक संरक्षण दिलाना पार्टी का मूल ध्येय है। राष्ट्रीय सनातन पार्टी से जुड़े और राष्ट्रहित की राजनीति करें।

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