Monday, August 18, 2025

भगवान श्री कृष्ण।

 बातें हैं जो हमें उनसे सीखनी चाहिए और उनके बताए मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए💞🚩👇

जन्म से लेकर देहत्याग तक भगवान कृष्ण के जीवन की लगभग हर घटना में कोई सूत्र है
युद्ध भूमि पर दिया गया गीता का उपदेश संसार का श्रेष्ठतम ज्ञान माना जाता है
#मैंनेजमेंट_मास्टर कहें या #जगतगुरु, #गिरधारी कहें या #रणछोड़। भगवान कृष्ण के जितने नाम हैं, उतनी कहानियां। जीवन जीने के तरीके को अगर किसी ने परिभाषित किया है तो वो कृष्ण हैं। कर्म से होकर परमात्मा तक जाने वाले मार्ग को उन्हीं ने बताया है। संसार से वैराग्य को सिरे से नकारा। कर्म का कोई विकल्प नहीं, ये सिद्ध किया। कृष्ण कहते हैं, मैं हर हाल में आता हूं, जब पाप और अत्याचार का अंधकार होता है तब भी, जब प्रेम और भक्ति का उजाला होता है तब भी। दोनों ही परिस्थिति में मेरा आना निश्चित है। 

वैसे तो कृष्ण का संपूर्ण जीवन ही एक प्रबंधन की किताब है, जिसे सैंकड़ों-हजारों बार कहा, सुना जा चुका है। कुरुक्षेत्र में दो सेनाओं के बीच खड़े होकर भारी तनाव के समय कृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया, वो दुनिया का श्रेष्ठतम ज्ञान है। गीता का जन्म युद्ध के मैदान में दो सेनाओं के बीच हुआ। जीवन की श्रेष्ठतम बातें भारी तनाव और दबाव में ही होती हैं। अगर आप दिमाग को शांत और मन को स्थिर रखने की कोशिश करें तो सबसे बुरी परिस्थितियों में भी आप अपने लिए कुछ बहुत बेहतरीन निकाल पाएंगे। ये कृष्ण सिखाते हैं। गीता पढ़ने से पहले अगर इसी बात को समझ लिया जाए तो गीता पढ़ना सफल हुआ।  

कृष्ण का जीवन ऐसी ही बातों से भरा पड़ा है, जरूरत है नजरिए की। उनका जीवन आपके लिए मॉयथोलॉजी का एक हिस्सा मात्र भी हो सकता है, और आपका पूरा जीवन बदलकर रख देने वाला ज्ञान भी। आवश्यकता हमारी है, हम उनके जीवन से लेना क्या चाहते हैं। कृष्ण मात्र कथाओं में पढ़ा या सुना जाने वाला पात्र नहीं है, वो चरित्र और व्यवहार में उतारे जाने वाले देवता हैं। कृष्ण से सीखें, कैसे जीवन को श्रेष्ठ बनाया जाए। दस बातें हैं, जो अगर व्यवहार में उतार लीं तो सफलता निश्चित मिलेगी। 

1. शुरू से अंत तक, #जीवन_संघर्ष_ही_है
कारागृह में जन्मे कृष्ण। पैदा होते ही रात में यमुना पार कर गोकुल ले जाया गया। तीसरे दिन पुतना मारने आ गई। यहां से शुरू हुआ संघर्ष देह त्यागने से पहले द्वारिका डुबोने तक रहा। कृष्ण का जीवन कहता है, आप कोई भी हों, संसार में आए हैं तो संघर्ष हमेशा रहेगा। मानव जीवन में आकर परमात्मा भी सांसारिक चुनौतियों से बच नहीं सकता। कृष्ण ने कभी किसी बात की शिकायत नहीं की। हर परिस्थिति को जिया और जीता। कृष्ण कहते हैं परिस्थितियों से भागो मत, उसके सामने डटकर खड़े हो जाओ। क्योंकि, कर्म करना ही मानव जीवन का पहला कर्तव्य है। हम कर्मों से ही परेशानियों से जीत सकते हैं। 

2 #स्वस्थ्य_शरीर_से_ही_विजय_है
कृष्ण का बचपन माखन-मिश्री खाते हुए गुजरा। आज भी भोग लगाते हैं हम। लेकिन ये संकेत कुछ और है। आहार अच्छा हो, शुद्ध हो, बल देने वाला हो। बचपन में शरीर को अच्छा आहार मिलेगा तो ही इंसान युवा होकर वीर बनेगा। शरीर को स्वस्थ्य रखना है तो बचपन से ध्यान देने की जरूरत है। ये पैरेटिंग के दौर से गुजर रहे युवाओं के लिए बड़ा मैसेज है, अपने बच्चों को ऐसा खाना दें, जो उनको बल दे। सिर्फ स्वाद के लिए ही ना खिलाएं। तभी वे बड़े होकर स्वयं को और समाज को सही दिशा में ले जा पाएंगे। 

3. #पढ़ाई_किताबी_ना_हो_रचनात्मक_हो
कृष्ण ने अपनी शिक्षा मध्य प्रदेश के उज्जैन में सांदीपनि ऋषि के आश्रम में रह कर पूरी की थी। कहा जाता है 64 दिन में उन्होंने 64 कलाओं का ज्ञान हासिल कर लिया था। वैदिक ज्ञान के अलावा उन्होंने कलाएं सीखीं। शिक्षा ऐसी ही होनी चाहिए जो हमारे व्यक्तित्व का रचनात्मक विकास करे। संगीत, नृत्य, युद्ध सहित 64 कलाओं कृष्ण के व्यक्तित्व का हिस्सा हैं। बच्चों में कोरा ज्ञान ना भरें। उनकी रचनात्मकता को नए आयाम मिलें, ऐसी शिक्षा व्यवस्था हो। 

4. #रिश्तों_से_ही_जीवन_है, बिना रिश्तों के कुछ नहीं
कृष्ण ने जीवनभर कभी उन लोगों का साथ नहीं छोड़ा, जिनको मन से अपना माना। अर्जुन से वे युवावस्था में मिले, ऐसा महाभारत कहती है, लेकिन अर्जुन से उनका रिश्ता हमेशा मन का रहा। सुदामा हो या उद्धव। कृष्ण ने जिसे अपना मान लिया, उसका साथ जीवन भर दिया। रिश्तों के लिए कृष्ण ने कई लड़ाइयां लड़ीं। और रिश्तों से ही कई लड़ाइयां जीती। उनका सीधा संदेश है सांसारिक इंसान की सबसे बड़ी धरोहर रिश्ते ही हैं। अगर किसी के पास रिश्तों का थाती नहीं है, तो वो इंसान संसार के लिए गैर जरूरी है। इसलिए, अपने रिश्तों को दिल से जीएं, दिमाग से नहीं। 

5. #नारी_का_सम्मान_समाज_के_लिए_जरूरी
राक्षस नरकासुर का आतंक था। करीब 16,100 महिलाओं को उसने अपने महल में कैद किया था। महिलाओं से बलात्कार में उसे सुख मिलता था। कृष्ण ने उसे मारा। सभी महिलाओं को मुक्त कराया। लेकिन सामाजिक कुरुतियां तब भी थीं। उन महिलाओं को अपनाने वाला कोई नहीं था। खुद उनके घरवालों ने उन्हें दुषित मानकर त्याग दिया। ऐसे में कृष्ण आगे आए। सभी 16,100 महिलाओं को अपनी पत्नी का दर्जा दिया। समाज में उन्हें सम्मान के साथ रहने के लिए स्थान दिलाया। कृष्ण ने हमेशा नारी को शक्ति बताया, उसके सम्मान के लिए तत्पर रहे। पूरी महाभारत नारी के सम्मान के लिए ही लड़ी गई। सो, आप कृष्ण भक्त हैं तो अपने आसपास की महिलाओं का पूरा सम्मान करें। कृष्ण की कृपा पाने का ये सरलतम मार्ग है। 

6. आपके मतभेद अगली पीढी के लिए बाधा ना बनें
कम ही लोग जानते हैं कि जिस दुर्योधन के खिलाफ कृष्ण ने आजीवन पांडवों का साथ दिया। उसकी मौत का कारण भी कृष्ण की कूटनीति बनी, वो ही दुर्योधन रिश्ते में कृष्ण का समधी भी था। कृष्ण के पुत्र सांब ने दुर्योधन की बेटी लक्ष्मणा का अपहरण करके उससे विवाह किया था। क्योंकि लक्ष्मणा, सांब से विवाह करना चाहती थी लेकिन दुर्योधन खिलाफ था। सांब को कौरवों ने बंदी भी बनाया था। तब कृष्ण ने दुर्योधन को समझाया था कि हमारे मतभेद अपनी जगह हैं, लेकिन हमारे विचार हमारे बच्चों के भविष्य में बाधा नहीं बनने चाहिए। दो परिवारों के आपसी झगड़े में बच्चों के प्रेम की बलि ना चढ़ाई जाए। कृष्ण ने लक्ष्मणा को पूरे सम्मान के साथ अपने यहां रखा। दुर्योधन से उनका मतभेद हमेशा रहा लेकिन उन्होंने उसका प्रभाव कभी लक्ष्मणा और सांब की गृहस्थी पर नहीं पड़ने दिया। 

7. #शांति_का_मार्ग_ही_विकास_का_रास्ता_है
कृष्ण ने महाभारत युद्ध के पहले शांति से समझौता करने के लिए पांडवों और कौरवों के बीच मध्यस्थता की। हालांकि दोनों ही पक्ष युद्ध लड़ने के लिए आतुर थे लेकिन कृष्ण ने हमेशा चाहा कि कैसे भी युद्ध टल जाए। झगड़ों से कभी समस्याओं का समाधान नहीं होता है। शांति के मार्ग पर चलकर ही हम समाज का रचनात्मक विकास कर सकते हैं। कृष्ण ने समाज की शांति से मन की शांति तक, दुनिया को ये समझाया कि कोई भी परेशानी तब तक मिट नहीं सकती, जब तक वहां शांति ना हो। फिर चाहे वो समाज हो, या हमारा खुद का मन। शांति से ही सुख मिल सकता है, साधनों से नहीं। 

8. #हमेशा_दूरगामी_परिणाम_सोचें
महाभारत में जुए की घटना के बाद पांडवों को वनवास हो गया। कृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि ये समय भविष्य के लिए तैयारी करने का है। महादेव शिव, देवराज इंद्र और दुर्गा की तपस्या करने को कहा। कृष्ण जानते थे कि दुर्योधन को कितना भी समझाया जाए, वो पांडवों को कभी उनका राज्य नहीं लौटाएगा। तब शक्ति और सामर्थ्य की जरूरत होगी। कर्ण के कुंडल कवच पांडवों की जीत में आड़े आएंगे ये भी वे जानते थे। उन्होंने हर चीज पर बहुत दूरगामी सोच रखी। कोई भी फैसला तात्कालिक आवेश में नहीं लिया। हर चीज के लिए आने वाली पीढ़ियों तक का सोचा। यही सोच समाज का निर्माण करती है। 

9. #हर_परिस्थिति_में_मन_शांत_और_दिमाग_स्थिर_रहे
पांडवों के राजसूय यज्ञ में शिशुपाल कृष्ण को अपशब्द कहता रहा। छोटा भाई था लेकिन मर्यादाएं तोड़ दीं। पूरी सभा चकित थी, कुछ क्रोधित भी थे लेकिन कृष्ण शांत थे, मुस्कुरा रहे थे। शांति दूत बनकर गए तो दुर्योधन ने अपमान किया। कृष्ण शांत रहे। अगर हमारा दिमाग स्थिर है, मन शांत है तभी हम कोई सही निर्णय ले पाएंगे। आवेश में हमेशा हादसे होते हैं, ये कृष्ण सिखाते हैं। विपरित परिस्थितियों में भी कभी विचलित नहीं होने का गुण कृष्ण से बेहतर कोई नहीं जानता। 

10. #लीडर_बनें, श्रेय लेने की होड़ से बचें

कृष्ण ने दुनियाभर के राजाओं को जीता था। जहां ऐसे राजाओं का राज था, जो भ्रष्ट थे, जैसे जरासंघ। लेकिन कभी किसी राजा का सिंहासन नहीं छीना। कृष्ण के पूरे जीवन में कभी ऐसा नहीं हुआ कि उन्होंने किसी राजा को मारकर उसका शासन खुद लिया हो। जरासंघ को मारकर उसके बेटे को राजा बनाया, जो चरित्र का अच्छा था। सभी जगह ऐसे लोगों को बैठाया, जो धर्म को जानते थे। कभी किंग नहीं बने, हमेशा किंगमेकर की भूमिका में रहे। महाभारत युद्ध में भी खुद हथियार नहीं उठाया। पूरा युद्ध कूटनीति से लड़ा, पांडवों को सलाह देते रहे लेकिन जीतने का श्रेय भीम और अर्जुन को दिया। 

🚩 जय श्री कृष्ण....💞🙏🙇

Wednesday, August 6, 2025

Brahmi and Shankhpushpi.

दुनिया की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में याददाश्त का कमजोर होना और दिमागी थकान आम समस्याएँ बन चुकी हैं। ऐसे में आयुर्वेद सदियों पुरानी उन औषधियों की ओर इशारा करता है, जो मस्तिष्क को पोषण देती हैं और मानसिक स्पष्टता प्रदान करती हैं। ब्राह्मी और शंखपुष्पी ऐसी ही दो प्रमुख जड़ी-बूटियाँ हैं, जिनका प्रयोग प्राचीन समय से स्मृति शक्ति, ध्यान और मानसिक शांति के लिए होता आया है। आइए जानते हैं इनके चमत्कारी लाभ, प्रयोग विधियाँ और रोचक तथ्य।

ब्राह्मी 

बुद्धि और स्मृति की देवी

ब्राह्मी (Bacopa monnieri) का अर्थ ही होता है – "बुद्धि प्रदान करने वाली।" इसे आयुर्वेद में मेधावर्धिनी यानी स्मृति और बुद्धि बढ़ाने वाली जड़ी माना गया है।

लाभ

स्मरण शक्ति में वृद्धि: ब्राह्मी नियमित सेवन से याददाश्त और कॉन्सेंट्रेशन बेहतर होता है।
तनाव और चिंता में राहत: यह मस्तिष्क की नसों को शांत करती है।

मस्तिष्क की कोशिकाओं की मरम्मत: इसमें मौजूद बैकोसाइड मस्तिष्क की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करता है।

प्रयोग विधियाँ

ब्राह्मी पाउडर को घी या दूध के साथ लेना सर्वोत्तम माना जाता है।

ब्राह्मी तेल से सिर की मालिश मानसिक शांति देता है।

शंखपुष्पी

मेधावर्धक औषधि
शंखपुष्पी (Convolvulus pluricaulis) आयुर्वेद में प्रमुख मेधावर्धक औषधि है।

यह मस्तिष्क को ऊर्जा देती है और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में सहायक होती है।

लाभ

नींद की गुणवत्ता में सुधार: यह अनिद्रा से परेशान लोगों के लिए लाभकारी है।

चिंता, अवसाद से राहत: मानसिक स्थिरता में मदद करती है।

बच्चों में पढ़ाई की एकाग्रता बढ़ाती है: शंखपुष्पी सिरप बच्चों में लोकप्रिय है।

प्रयोग विधियाँ

शंखपुष्पी सिरप बाजार में आसानी से उपलब्ध है।
आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से पाउडर या अर्क का प्रयोग किया जा सकता है।

ब्राह्मी और शंखपुष्पी का संयोजन

जब ब्राह्मी और शंखपुष्पी को एक साथ लिया जाता है, तो यह एक शक्तिशाली मानसिक टॉनिक का कार्य करता है। यह संयोजन स्कूल जाने वाले बच्चों, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं, और मानसिक श्रम करने वाले वयस्कों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
रोज़ सुबह दूध या गुनगुने पानी के साथ इन दोनों का मिश्रण लेना उत्तम है।
यह संयोजन स्मृति, निर्णय क्षमता और चिंता को नियंत्रित करता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

आधुनिक अनुसंधान भी ब्राह्मी और शंखपुष्पी की उपयोगिता को प्रमाणित करते हैं। कई अध्ययन यह दिखाते हैं कि इनमें न्यूरोट्रांसमीटर गतिविधि को बढ़ाने की क्षमता है, जिससे स्मृति और एकाग्रता में सुधार होता है।

सतर्कता

ब्राह्मी और शंखपुष्पी का अधिक मात्रा में सेवन सिरदर्द या पाचन संबंधी परेशानी उत्पन्न कर सकता है।
गर्भवती महिलाएं या विशेष दवाएं ले रहे लोग इन्हें प्रयोग करने से पहले चिकित्सकीय सलाह अवश्य लें।

निष्कर्ष

ब्राह्मी और शंखपुष्पी केवल जड़ी-बूटियाँ नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक ज्ञान की अमूल्य निधियाँ हैं। ये हमारे मस्तिष्क को उसी प्रकार पोषण देती हैं, जैसे पौधे को जल। आज जब मानसिक थकान और तनाव जीवन का हिस्सा बन चुका है, तब इन जड़ी-बूटियों का प्रयोग न केवल याददाश्त सुधारता है, बल्कि जीवन में स्थिरता और स्पष्टता भी लाता है।